रहस्यों की दुनिया में आपका स्वागत है।यहाँ आपको ऐसे ऐसे रहष्यो के बारे में जानने को मिलेगा जिसको आप ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।
भूत मेला भारत के मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक प्राचीन परंपरा है, जहाँ ग्रामीण आत्माओं को प्रसन्न करने और बुरी शक्तियों से सुरक्षा की माँग करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह आयोजन एक एकीकृत आयोजन के रूप में कार्य करता है, जो ग्रामीणों को अनुभवों को साझा करने और सामाजिक बंधनों को मजबूत करने के लिए एक साथ लाता है। यह मेला नर्मदा के तट पर प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है, जो भारत और विदेश दोनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। मलाजपुर के बाबा के समाधि स्थल के चारों ओर पेड़ों की मुड़ी हुई शाखाएँ उल्टे भूतों की तरह दिखती हैं, और ऐसा माना जाता है कि बाबा की समाधि के एक या दो चक्रों के बाद, रुकावट का अनुभव करने वाले व्यक्ति की आत्मा स्वाभाविक रूप से उनके शरीर से बाहर निकलती है और पास के पेड़ पर उलटी लटक जाती है। यह मेला मलाजपुर ग्राम पंचायत द्वारा आयोजित किया जाता है और इसका वर्णन कई अंग्रेजों ने अपने संस्मरणों, पुस्तकों और उपन्यासों में किया है।
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बैतूल जिले में होने वाला धार्मिक आयोजन, भौत मेला, 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था, जब नरहर राव घोरपड़े नामक एक जमींदार को अपनी मृत पत्नी के भूत ने परेशान कर रखा था। यह मेला मुख्य रूप से एक धार्मिक आयोजन है, जिसमें भक्त नरहर राव घोरपड़े के मंदिर में भूतों को प्रार्थना और भोजन चढ़ाते हैं, उनका मानना है कि इससे सौभाग्य प्राप्त होगा और बुरी आत्माएं दूर रहेंगी। मेले में सांस्कृतिक प्रदर्शन, पारंपरिक कला और शिल्प, और भूतों और आत्माओं का एक रंगीन जुलूस भी शामिल होता है।
हर साल श्राद्ध पक्ष में अमावस्या की रात को नर्मदा के तट पर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में भूत मेला लगता है। माना जाता है कि इस मेले में आस-पास के पेड़ों पर उल्टे लटके भूत रहते हैं। यह मेला भारत और विदेश दोनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है और ग्राम पंचायत मलाजपुर द्वारा आयोजित किया जाता है। इस मेले का उल्लेख अंग्रेजों की किताबों, उपन्यासों और संस्मरणों में किया गया है, जो विदेशी पर्यटकों को मलाजपुर के गुरु साहब मेले की ओर आकर्षित करता है।भारत में गुरु साहब बाबा का मंदिर भूत-प्रेत बाधा को दूर करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। समाधि में प्रवेश करने से पहले व्यक्ति को अपना सिर पटककर और पेट के बल लोटकर क्षमा मांगनी होती है। बंधारा नदी में स्नान करने के बाद, प्रभावित व्यक्ति को समाधि पर लाया जाता है, जहां वह हिलने-डुलने लगता है, जिससे उसके आस-पास के लोग उसे संभालते हैं।जैसे ही पूजा प्रक्रिया शुरू होती है, भूत व्यक्ति के मुंह से अपना परिचय देता है और उसे छोड़ने की कसम खाता है। पीड़ित आत्मा का महिमामंडन किया जाता है और वह बाबा के चरणों में सिर झुकाकर क्षमा मांगती है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई बुरी आत्मा से पीड़ित व्यक्ति मंदिर में आता है, तो वह मुक्त होकर चला जाता है।
प्रश्न और उत्तर
बैतूल में कौन सा मेला लगता है?
बैतूल जिले के चिचोली बलॉक के मलाजपुर में स्थित गुरु साहब बाबा की समाधि पर पौष महीने की पूर्णिमा से मेला की शुरुआत होती है और एक महीने तक मेला चलता है. बताया जाता है कि पिछले 400 साल से भी ज्यादा समय से मेला लग रहा है. इस स्थान पर मेले के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं.
मध्यप्रदेश का निम्नलिखित में से कौन सा स्थान भूतों का मेला के लिए प्रसिद्ध है?
सही उत्तर बेतूल है। मध्य प्रदेश का बेतूल स्थान भूत मेले (भूतों का मेला) के लिए प्रसिद्ध है
Question 1: मलाजपुर का मेला कब शुरू होता है?
Answer 1: मलाजपुर का मेला वसंत ऋतु में चैत्र माह के आसारे संक्रान्ति के दिन लगता है।
Question 2: मलाजपुर मेले में किस प्रकार के आयुध और वस्त्र विक्रय होता है?
Answer 2: मलाजपुर मेले में लोकप्रिय धरोहरिक आयुध और रंग-बिरंगे वस्त्र का विक्रय होता है।
Question 3: मलाजपुर का मेला क्यों महत्वपूर्ण है?
Answer 3: मलाजपुर का मेला परंपरागत भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और यहाँ विभिन्न राजस्थानी वस्त्र, आयुध और संस्कृति को साझा किया जाता है।
1. Question: बैतूल से कौन सी नदी निकलती है? Answer: बैतूल से नर्मदा नदी निकलती है। 2. Question: बैतूल किस राज्य में स्थित है? Answer: बैतूल मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। 3. Question: नर्मदा नदी में बैतूल क्षेत्र में कौन-कौन सी जीव जंतुओं को देखा जा सकता है? Answer: बैतूल क्षेत्र में नर्मदा नदी में मगरमच्छ और जलप्राणीयों को देखा जा सकता है।
बैतूल क्यों प्रसिद्ध है?
भारत की हृदय स्थली में स्थित बैतूल जिला परित्र ताप्ती नदी के उद्गम स्थल का गौरव प्राप्त किये हुए है। दिल्ली मद्रास मुख्य लाईन पर भोपाल नागपुर के मध्य में स्थित है।
भूत का राजा कौन होता है?
भूतों का कोई राजा नहीं है, लेकिन उनके पास 'भूतनाथ' नामक रक्षक है। भगवान शिव को 'भूतनाथ' के नाम से भी जाना जाता है।
भूतों को क्या खाना पसंद है?
भूत प्रेत एनर्जी फॉर्म होते है, जैसे हम अपनी प्राण ऊर्जा खुराक और ओकिस्जन से प्राप्त करते है वैसे यह एनर्जी फॉर्म हमारी ऊर्जा को लेते है। पर एक बात ध्यान रहे की जैसे जो इंसान मांसाहारी है वह खरगोश बकरी इत्यादि प्रकार के जानवरों का मांस खाता है
डिसक्लेमर
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