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रहस्यमय चूहे वाला मंदिर जिसमें रहते हैं 30 हजार से ज्यादा चूहे

 रहस्यों की दुनिया में आपका स्वागत है।यहाँ  आपको ऐसे ऐसे  रहष्यो के बारे में जानने को मिलेगा जिसको  आप ने  कभी सपने में  भी नहीं सोचा होगा। 

इंसान से ज्यादा नजर आते हैं चूहे

भारत में कई रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनमें बीकानेर के देशनोक में करणी माता मंदिर भी शामिल है। बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर अपने सैकड़ों जीवित चूहों के लिए जाना जाता है, जिन्हें काबा के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में चूहों की पूजा करना प्रतिबंधित है और हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। करणी माता मंदिर, जिसे "चूहा मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है, को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। महाराजा गंगा सिंह द्वारा 1800 के दशक में निर्मित यह मंदिर मुगल शैली में बना है और संगमरमर के पत्थरों से बना है। करणी माता के बच्चे और पूर्वज माने जाने वाले चूहों का सम्मान किया जाता है और उन्हें 'कबा' कहा जाता है। मंदिर को चूहे वाली माता, चूहे वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है, जहाँ 30,000 चूहों को करणी माता के बच्चे और पूर्वज माना जाता है।

करणी माता मंदिर में काबा यानी 30 हजार चूहे मौजूद हैं, जो 600 साल पुराना है और चूहों से कोई बीमारी या पीड़ा नहीं होती। मंदिर का नाम माता करणी के नाम पर रखा गया है, जो 151 साल तक जीवित रहीं और 100 साल तक तपस्या की। विवाह के बाद उन्होंने मोह त्याग दिया और एक गुफा में तपस्या करती थीं, जो आज भी मंदिर में मौजूद है। मंदिर में दुनिया भर से लोग आते हैं और आगंतुक तस्वीरें ले सकते हैं। मंदिर का मुख्य द्वार चांदी से बना है और यह मंदिर हर भक्त की मनोकामना पूरी करने के लिए जाना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और बेहतरीन काम इसे आगंतुकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बनाते हैं।

करणी माता मंदिर, इस क्षेत्र का एक अनूठा और प्राचीन मंदिर है, जिसमें ठोस चांदी से बना एक मुख्य द्वार और कई अन्य चांदी के दरवाजे हैं जिन पर इसके अतीत के बारे में शिलालेख हैं। आंतरिक गर्भगृह में देवी मां का मंदिर है। क्षेत्र की लोककथा एक खूनी संघर्ष के बारे में बताती है जिसमें बीस हज़ार की लड़ाकू सेना हार कर देशनोक की ओर भाग गई थी। क्रोधित करणी माता ने प्रत्येक सैनिक को चूहों में बदल कर दंडित किया, और सैनिकों ने आभार व्यक्त किया और उनकी सेवा करने का वादा किया। माना जाता है कि करणी माता के चार बेटों सहित चूहे सफ़ेद हैं।


करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण कोलायत तहसील के कपिल सरोवर में डूब गए थे और मृत्यु के देवता यम ने उन्हें चूहों के रूप में पुनर्जन्म का आशीर्वाद दिया था। अगर इस मंदिर में कोई चूहा मर जाता है, तो वह चांदी का चूहा बन जाता है। अगर कोई भक्त ऐसा करने में विफल रहता है, तो माता करणी उसे श्राप देती हैं। मंदिर को चूहों वाली माता के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि सफेद चूहों को शुभ माना जाता है। नवरात्रि मेले के दौरान, लाखों भक्त मंदिर में आते हैं, जहाँ चूहों की पूजा की जाती है। चूहों को स्थानीय भाषा में काबा नामक दूध पिलाया जाता है और यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ चूहों की पूजा की जाती है।
करणी माता मंदिर एक पूजनीय स्थान है जहाँ चूहों को माता करणी का पुत्र माना जाता है। चूहों द्वारा खाए जाने के बाद भी जो प्रसाद बरकरार रहता है, उसे भक्तों को काल्पनिक प्रसाद के रूप में दिया जाता है। मंदिर चूहों से भरा हुआ है, और उनके साथ चलने से पैरों के नीचे रेंगना अशुभ हो सकता है। चूहे को मारना एक गंभीर पाप माना जाता है, और अगर कोई चूहा किसी भक्त के पैरों के सामने से गुजरता है, तो यह सौभाग्य की बात है। सभी चूहों को "काबा" नाम दिया गया है, जिसमें काले और गहरे रंग के चूहे भी मौजूद हैं। मंदिर में सफेद चूहों का अधिक सम्मान किया जाता है। मंदिर में चूहों की अधिक संख्या इसके रहस्यमय महत्व को बढ़ाती है।
करणी माता मंदिर जाने से पहले, ट्रेन, बस, टैक्सी या कार जैसे परिवहन विकल्पों पर विचार करें। मंदिर बीकानेर से 30 किमी दूर है और अंदर फ़ोन नहीं रखा जा सकता। इसके बजाय, उन्हें कार या होटल में रखें या टिकट खरीदें। बीकानेर में उच्च तापमान के कारण मई में जाने से बचें। अगर आप बीकानेर में रह रहे हैं, तो जाने से पहले या बाद में ऑनलाइन होटल बुक करें। मंदिर सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
प्रश्न और उत्तर
करणी माता का दूसरा नाम क्या है?
इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी, करणी माता को सामान्यतः डाढ़ाली डोकरी और करणीजी महाराज के नाम से भी जाना जाता है

चूहों के मंदिर के नाम से कौनसा मंदिर विख्यात है?
राजस्थान (Rajasthan) का करणी माता मंदिर एक सिद्ध मंदिर माना जाता है. जहां दुनिया भर से लोग माता करणी के दर्शन के लिए आए हैं. चूहों के मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर बीकानेर से 30 किमी दूर देशनोक में है. मंदिर के प्रांगण में सैंकड़ों चूहों का डेरा है.

करणी माता के मंदिर में चूहे क्यों होते हैं?
राजस्‍थान के बीकानेर में करणी माता का मंदिर 25000 चूहों के कारण काफी लोकप्रिय है। इन काले और सफेद चूहों को माता की संतान माना जाता है, इसलिए भक्‍तों को चूहों का झूठा प्रसाद दिया जाता है।

करणी माता के मंदिर में सफेद चूहों को क्या कहा जाता है?
यह मंदिर में रहने वाले लगभग 25,000 काले चूहों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक सफेद चूहे को देखना सौभाग्य माना जाता है। इन पवित्र चूहों को कबस कहा जाता है, और बहुत से लोग काफी दूर से इसके दर्शन के लिए आते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है.सिर्फ काल्पनिक कहानी समझ कर ही पढ़े .

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