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राक्षसों की कुलदेवी का महारहस्यमय तांत्रिक मन्दिर, केवल अघोर साधकों को ही रात्रि में प्रवेश की अनुमति है

रहस्यों की दुनिया में आपका स्वागत है।यहाँ  आपको ऐसे ऐसे  रहष्यो के बारे में जानने को मिलेगा जिसको  आप ने  कभी सपने में  भी नहीं सोचा होगा। 

रावण की कुलदेवी माँ भवानी निकुंभला शक्ति पीठ मध्य प्रदेश के बैतूल जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर बैतूल बाजार गाँव में स्थित है। इसका ज़्यादा संबंध रावण के बेटे मेघनाथ से है, जिसे इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता है। रामायण में दावा किया गया है कि रावण के गुणों के कारण लंका अभेद्य थी, जिसे देवता भी नहीं हरा सकते थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यहाँ मंगल का वास है। कहा जाता है कि यह मंदिर वही मूर्ति है जिसने रावण को शत्रुओं का शत्रु बना दिया था और जिसे एक बार के दर्शन से ही नष्ट किया जा सकता है। निकुंभला का रहस्यमयी मंदिर भौतिक और आध्यात्मिक विज्ञान का मिश्रण है, जिसे सौर अनुक्रमण का उपयोग करके भूविज्ञान पर बनाया गया है। इसमें भौतिक चमत्कार, मानसिक और आध्यात्मिक अनुभव हैं, और खंडहर से शिखर तक की यात्रा विचारशील और प्रेरणादायक संदेशों से भरी हुई है। निकुंभला सूचकांक वैज्ञानिक रूप से प्रकाशित डेक्कन स्टार के उन्नत उपयोग पर आधारित है, जो विज्ञान और संस्कृति के संयोजन में संग्रहीत एक अनूठी प्रक्रिया है। निकुंभला की खोपड़ी बलि पूजा एक प्राचीन धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें निकुंभला के पेड़ की पूजा की जाती है, जो निकुंभला की प्राकृतिक शक्ति और ऊर्जा के साथ संचार करता है। एक निश्चित समय पर पेड़ के नीचे जाकर खोपड़ी की बलि दी जाती है, उसके बाद मंत्रोच्चार और प्रार्थना की जाती है।


महारहस्य----------मां की मूर्ति के सामने ज्यादा देर तक आँखे  नहीं टिकती ,मूर्ति रूप  बदलती रहती हे. मंदिर के जल से रोग से मुक्ति मिल  जाती  हे.

निकुंभला मूर्ति भारतीय कला और संस्कृति में एक अनूठी मूर्ति है, जो दुष्ट महिला आत्मा निकुंभला का प्रतिनिधित्व करती है। इसे अक्सर काले जादू और गुप्त प्रथाओं से जोड़ा जाता है। पारंपरिक शांत देवताओं के विपरीत, निकुंभला मूर्ति को एक भयंकर और क्रोधी भाव के साथ चित्रित किया गया है, जो मानव सिरों की माला से सुशोभित है। इंद्रजीत ने अपनी साधना पूरी की और पाताल लोक की यात्रा की, जहाँ उन्होंने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से स्वीकृति प्राप्त की। उन्हें निकुंभला साधना करने और गुप्त मंत्र और तकनीक देने का निर्देश दिया गया था। जब विष्णु के अवतार निकुंभला देवी जागृत हुईं, तो उन्होंने वानरों की पूरी सेना को मार डाला और उनके योद्धाओं का खून पी लिया। श्री रामचंद्र जी ने यह पता लगाया और अनुयायियों को अपना यज्ञ समाप्त करने का आदेश दिया। हालाँकि, उन्होंने यज्ञ अनुष्ठान को बाधित कर दिया, जिससे श्री राम को लंका पर कब्जा करने में कठिनाई हुई। मेघनाद द्वारा माँ निकुंभला की साधना पूरी करने के बाद, भवानी ने उसे एक रथ प्रदान किया और उसे युद्ध में विजय का वादा किया, अगर वह अपना तांत्रिक अभिषेक और खपर बलि पूजा करता।

मध्य प्रदेश के बैतूल बाजार में स्थित रहस्यमयी मंदिर माँ भवानी निकुंभला के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रवेश करने पर सभी बीमारियाँ तुरंत गायब हो जाती हैं। माँ के अभिषेक का जल लोग अपने साथ ले जाते हैं और दर्शन केवल दिन में ही संभव है। मंदिर में केवल रात में अघोरी साधक ही जा सकते हैं और दर्शनार्थियों को केवल विशेष अवसरों पर ही जाने की अनुमति है। माँ की शक्तिशाली मूर्ति से मुँह मोड़ना असंभव है और वह इसे दर्शाने के लिए लगातार बदलती रहती हैं। बैतूल जिला कभी दंडकारण्य का हिस्सा था, जिस पर मेघनाद के पुत्र रावण का शासन था। रावण के परिवार की कुलदेवी माँ निकुंभला का मंदिर बैतूल में स्थित है और होली के दौरान वहाँ मेघनाथ की पूजा की जाती है। उनके सम्मान में एक मेले का आयोजन किया जाता है और रावण के पुत्र मेघनाद ने भगवान राम के साथ युद्ध के दौरान माँ निकुंभला का ध्यान किया था।

रामायण में, देवी भवानी के एक रूप निकुंभला देवी की पूजा रावण के पुत्र मेघनाद ने भगवान श्री राम को जीतने के लिए की थी। मेघनाद ने राक्षस गुरु शुक्राचार्य की मदद से तांत्रिक साधना की, देवी निकुंभला को प्रसन्न किया और उसे एक दिव्य रथ दिया। प्रत्यंगिरा देवी, जिन्हें देवी निकुंभला के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा इंद्रजीत ने युद्ध जीतने के लिए की थी। भगवान हनुमान ने होम को नष्ट कर दिया, यह जानते हुए कि इसे पूरा करने से जीत मिलेगी। मेघनाद को निकुंभला के एकांत निवास में देवी के साथ रहने का वरदान मिला था, जहाँ अभिषेक और बलि दी जाती थी। इंद्रजीत ने प्रत्यंगिरा की एक गुप्त मंदिर में पूजा की, उसे अजेय बनाने के लिए एक विस्तृत अनुष्ठान किया।

प्रश्न और उत्तर

Question 1: निकुंभला नामक स्थान में रामायण में किस उद्यान में हुई थी जानवरों की भांति सुन्दर विलापित सुन्दरी की मृत्यु?
Answer 1: निकुंभला नामक स्थान में रामायण में अशोक वन में जानवरों की भांति सुन्दर विलापित सुन्दरी की मृत्यु हुई थी।

Question 2: कैसे संयोगवश निकुंभला में राम, लक्ष्मण और सुग्रीव ने सुन्दरी की मृत्यु देखी?

Answer 2: निकुंभला स्थान में राम, लक्ष्मण और सुग्रीव राक्षसी सुर्पणखा के वचन सुनकर सुन्दरी की हत्या हुई देखी।

Question 3: सुन्दरी की मृत्यु के बाद निकुंभला में राम कैसे प्रतिक्रिया देते हुए आगे बढ़े?

Answer 3: सुन्दरी की मृत्यु के बाद निकुंभला में राम ने गहरी दुख और विलाप में सम्भवनीय संवेदनाएं व्यक्त की और उन्होंने यह सम्भावना की कि युद्ध का समर्थन करके सुन्दरी का प्रयास करना सहायक नहीं हो सकता।

Question 1: मां निकुंबाला देवी को किस क्षेत्र में विशेष पूजा जाता है? Answer 1: मां निकुंबाला देवी को वृषभ राशि के लोग विशेष भक्ति से पूजते हैं।

Question 2: कौन-कौन सी पर्व और त्योहार मां निकुंबाला देवी के प्रमुख त्योहार के रूप में मनाए जाते हैं?
Answer 2: नवरात्रि और वैषाखी जैसे पर्व में मां निकुंबाला देवी की पूजा विशेष अनुस्मारण के रूप में की जाती है।

Question 3: मां निकुंबाला देवी के भवन का किसे दिया गया महत्व?
Answer 3: मां निकुंबाला देवी के भवन का महत्व राजपुताना वंश के महाराजा अमर सिंह द्वारा योगदान के रूप में दिया गया है।

Question: मेघनाथ का असली नाम क्या था?
Answer: मेघनाथ का असली नाम इंद्रजित था। उन्होंने अपनी अद्भुत शक्ति और वीरता के लिए प्रसिद्ध थे।

Question: मेघनाथ का कौन कौन से अद्भुत वरदान मिला था?
Answer: मेघनाथ ने शिव भगवान से प्राप्त किए गए ब्रह्मास्त्र का अद्धभुत ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपराजित शक्ति प्राप्त की थी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है.सिर्फ काल्पनिक कहानी समझ कर ही पढ़े .

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