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सिद्धाश्रम साधक परिवार की रहस्यमय गुरु साधनाये-5

 गुरु से दीक्षा प्राप्त करने के बाद जीवन में भटकाव आना स्वाभाविक है। लेकिन गुरु का आगमन यह सुनिश्चित करता है कि इस भटकाव को समाप्त करके आगे बढ़ने का समय आ गया है। सफल साधक बनने के लिए सबसे पहले सफल क्षेत्रज्ञ बनना होगा। यह सबसे कठिन कार्य है, क्योंकि इसमें खुद पर नज़र रखना और यह पहचानना शामिल है कि कौन से विचार उनके अपने हैं और कौन से समय के द्वारा रोपे गए हैं। क्षेत्रज्ञ का जीवन उनके विचारों पर पैनी नज़र से चिह्नित होता है, जो उन्हें यह पहचानने में मदद कर सकता है कि कौन से विचार उनके अपने हैं और कौन से समय के द्वारा रोपे जा रहे हैं। ये विचार बाद में भविष्य के कार्यों की नींव बन सकते हैं, चाहे वे "जीवन की गड़बड़ी" बनें या "प्रसिद्धि के योग्य"। इसलिए, क्षेत्रज्ञ बनना साधना में सफलता की ओर एक कदम हो सकता है। जब क्षेत्रज्ञ साधना करते रहते हैं, तो वे अपने विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं। हालाँकि, कभी-कभी, कोई विचार परेशान करने वाला हो जाता है और उसे रोका नहीं जा सकता। यदि उन्हें यह एहसास हो जाए कि यह विचार उनका अपना नहीं है, तो वे सदगुरुदेव से प्रार्थना करते हैं, जो आशीर्वाद देते हैं और उन्हें विचार-जाल से मुक्त करते हैं। संक्षेप में, सदगुरुदेव उन्हें उस क्षण में मौजूद काल-शक्तियों के प्रभाव से मुक्त करते हैं।

1-GURU YANTRA DWARA ISHT DARSHAN PRAYOG

 साधक ऐसी साधना प्राप्त करना चाहते हैं जिसके माध्यम से वे अपने इष्ट का दर्शन कर सकें, लेकिन ऐसी साधना प्राप्त करना कठिन या असंभव है। सदगुरुदेव ने अपने शिष्यों के बीच इससे संबंधित साधनाएं रखी हैं और कई लोगों ने अपने इष्ट का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए इन विधियों को अपनाया है। ये साधनाएं फलदायी तो हैं लेकिन श्रमसाध्य हैं और लाखों मंत्रों का जाप करना आज के युग में कठिन है।


सदगुरुदेव श्री निखिलेश्वरानंद जी ने बताया कि इष्ट दर्शन करना कठिन है क्योंकि इष्ट से निरंतर ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है जो साधकों को भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है। यदि कोई साधक कठिन साधनाएं करने में असमर्थ है तो गुरु यंत्र का प्रयोग करके प्रयोग किया जा सकता है, जो सभी देवी-देवताओं और ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता है। जब साधक यंत्र के सामने गुप्त मंत्र का जाप करता है तो बीच में इष्ट दिखाई देने लगता है।


इस साधना के लिए विशेष अनुरोध किया गया और मात्र तीन दिनों में इष्ट दर्शन प्राप्त हुआ, जिससे साधक के जीवन की एक महत्वपूर्ण साधना पूरी हुई। साधकों को विशेष नियमों के तहत उसी परिणाम को प्राप्त करने के लिए वर्षों के प्रयास की अपेक्षा हो सकती है, लेकिन ऐसी साधनाओं को करने की आंतरिक प्रेरणा सौभाग्य की ओर ले जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति इस साधना को करने के बाद भी इसका प्रयोग नहीं करता है, तो उसके बारे में कहना कठिन है।

इस साधना के लिए साधक के पास ‘ सिद्धाश्रम गुरु यन्त्र ’ या फिर गुरु यन्त्र होना जरुरी हैं . यह साधना गुरुवार की रात्रि से शुरू होती हे. और यह प्रयोग ३ दिन का हैं .

साधक सर्व प्रथम गुरुदेव का पूजन करे और फिर उनसे इष्ट दर्शन में सफलता के लिए प्रार्थना करे. फिर अपने इष्ट को सदगुरुदेव का ही एक स्वरुप समझ कर उनसे साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करे. उसके बाद रात्रि में स्फटिक माला से यन्त्र पर देखते हुए निम्न मंत्र की १०१ माला करे

 ॐ सद्गुरु इष्ट में दर्शय हुं हुं

Om Sadguru Isht Me Darshay Hum Hum

 

इस प्रकार १०१ माला करने पर साधक इष्ट और सदगुरुदेव को नमस्कार करके जप समाप्त करे. अगले २ दिन तक इसी तरह से जप करते रहे. तीसरे दिन, रात्रि में जप समाप्ति से पहले पहले निश्चित रूप से इष्ट के दर्शन गुरु यन्त्र पे हो जाते हैं  और आगे भी जीवन में इष्ट की कृपा बनी रहती हैं . यन्त्र को पूजा स्थान में स्थापित करे और माला को भविष्य में यही प्रयोग अगर वापस करना चाहे तो उपयोग में ले सकते हैं .

2-BASE KUMUDANI HAMARE GURU PIYA - GURU AATM CHAKRA STHAPAN PRAYOG

 

त्सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजित पदाम्बुजः।
वेदान्ताम्बुजसूर्योयः तस्मै श्रीगुरवे नमः॥

 गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुरेवपरंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥


प्रयोग विधि

किसी भी गुरूवार को प्रातःकाल इस साधना को आप संपन्न करें| ज्यादा उचित होगा की आप प्रातः ८ बजे तक इस विधान को कर लें| वस्त्र व आसन पीले होंगे,दिशा उत्तर होगी,दीपक घृत का प्रयोग करें|स्नान कर वस्त्र धारण कर आसन पर बैठ जाएँ और सदगुरुदेव तथा भगवान गणपति और दीपक का पूजन करें पूजन में सुगन्धित पुष्प और दूध से बने नैवेद्य का प्रयोग करें और साथ ही गुरुमंत्र की ५ माला तो मंत्र जप करें और अब उनके समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें की वे अन्तः शरीर या ब्रह्माण्ड शरीर स्थित आत्मचक्र में पूर्ण भव्यता के साथ स्थापित होने की कृपा करें और जीवन को पूर्णता प्रदान करने की कृपा करें|”

  इसके बाद निम्न दिव्य मंत्र की ११ माला मन्त्र जप गुरुमाला से करें,

 

ॐ निं खिं लं ब्रह्माण्ड स्वरूपाय श्री निखिलेश्वराय शिव रूपाय मम आत्म चक्रे पूर्ण स्थापय ॐ ||

OM NIM KHIM LAM BRAHMAAND SWAROOPAAY SHRI NIKHILESHWARAAY SHIV ROOPAAY MAM AATM CHAKRE POORN STHAAPAY OM ||

 

  जप काल में पूरा शरीर ऐंठता हुआ लगता है,शरीर भारी हो जाता है,किन्तु थोड़े समय बाद ही सब कुछ सामान्य और हल्कापन लगने लगेगा| अतः आप अद्भुत सुगंध का अनुभव करते हुए इस साधना को संपन्न करें|


3-SABAR GURU PARTYAKSH SADHNA

साबर साधना एक गुप्त मंत्र है जो गुरु के स्वर्ग सिधार जाने पर पूर्णिमा के रूप में साधक तक पहुंचता है। यह मंत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी और पूर्णिमा को किया जाता है, जिससे साधक को अपने प्रतीकात्मक गुरु के दर्शन और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। साधक को न केवल पूर्ण तेजोमय छवि के दर्शन होते हैं, बल्कि गुरु से भावी जीवन के लिए उपयोगी निर्देश भी प्राप्त होते हैं। निर्देशित दिन की रात्रि के दूसरे पहर में पूर्ण स्नान करके, सफेद वस्त्र पहनकर छत पर सफेद ऊनी आसन पर बैठें। गुरु का चित्र एक मेज पर रखें, पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें और सुगंधित धूप और पुष्प का प्रयोग करें। चावल के ढेर पर महासिद्ध गुटिका रखें और घी के दीपक से उसकी पूजा करें। प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाएं और त्रिकुटा का ध्यान करें और मंत्र का 4 घंटे तक जाप करें। जैसे-जैसे एकाग्रता बढ़ती है, आज्ञा चक्र पर एक सुनहरा-नीला प्रकाश प्रकट होता है और गुरु की पूर्ण तेजोमय छवि प्रकट होती है। जीवन के लक्ष्य और साधनाओं से जुड़े प्रश्नों के उत्तर गुरु के कानों में सुनाई देंगे। उच्चस्तरीय साधक त्रिकूट के स्थान पर इस मंत्र से अपने समक्ष गुरु का आह्वान कर सकते हैं

मन्त्र- आदि ज्योति,रूप ओंकार,आनंद का है गुरु वैपार,नीली ज्योति,सुनहरा रूप,तेरो भेष न जाने कोय,अनगद भेष बदलतो रूप,तू अविनाशी जानत न कोय,शून्य में तू विराजत,तेरो चाकर ब्रह्म बिष्णु महेश.किरपा दे,कर तू उपकार,जीवन नैया कर बेडा पार.जय जय जय सतगुरु की दुहाई. 

Aadi jyoti,roop omkaar,aanand ka hai guru vaipaar,neelee jyoti,sunhara roop,tero bhesh na jaane koy,angad bhesh badalto roop,tu avinaashi jaanat naa koy,shunya me tu viraajat,tero chaakar bramha bishnu mahesh.kirpa de,kar tu upkaar,jeevan naiya kar bedaa paar,jai jai jai satguru ki duhaai.

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है.सिर्फ काल्पनिक कहानी समझ कर ही पढ़े .

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