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सिद्धाश्रम साधक परिवार की रहस्यमय गुरु साधनाये-3

 1}पूर्ण शक्तिपात सिद्धि साधना (Poorna Shaktipaat Siddhi sadhna) –

 

इस ग्रंथ में शक्तिपात की अवधारणा का वर्णन किया गया है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें श्री सद्गुरु की शिक्षाओं के माध्यम से अज्ञानता और अशुद्धियों को दूर करना शामिल है। यह एक सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली विधि है जिसे मंत्र जप के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। शक्तिपात एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक शिष्य में ब्रह्मांडीय ज्ञान का संचार होता है, जिसका उपयोग फिर वांछित ज्ञान को विकसित करने के लिए किया जाता है। शक्तिपात के तीन प्रकार हैं: धीमा, मध्यम और तीव्र।


शक्तिपात एक ऐसी प्रक्रिया है जो कर्म की अशुद्धियों को दूर करती है और ज्ञान के बीज बोती है। मन या आत्मा पर कर्मों का प्रभाव जितना गहरा होता है, दोषों को दूर करने के लिए सद्गुरु को उतनी ही तीव्र और तपस्या करनी चाहिए। यह प्रक्रिया तब अपरिहार्य हो जाती है जब शिष्य गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान का अर्थ समझने में असमर्थ होता है और उसका मन संशय से मुक्त नहीं होता है। ऐसी स्थिति में, सक्षम गुरु सीधे दृष्टि, शब्द या स्पर्श के माध्यम से अपने ज्ञान को शिष्य में डालते हैं, बाहरी आँखों और मन को ज्ञान से भरते हैं। इन श्लोकों का सार समझना सामान्य साधक या शिष्य के लिए कठिन है, लेकिन अर्जुन भी श्लोकों के सार को समझने में असमर्थ थे। कृष्ण जी ने शक्तिपात क्रिया की और जो बातें निरंतर समझाने के बाद भी हृदय में नहीं उतर रही थीं, वे शक्तिपात द्वारा सरलता से सिद्ध हो गईं।


हालाँकि, शक्तिपात प्राप्त करने के बाद भी साधक का जीवन पवित्रता से भरा नहीं होता और वे अपने दैनिक जीवन में शुद्ध नहीं हो पाते। वे हमेशा मिथ्या आचरण, अशुद्ध आहार और अशुद्ध विचारों से भरे रहते हैं, जिससे सद्गुरु द्वारा उन्हें दिया गया शक्तिपात कमजोर हो जाता है। शरीर और आत्मा में शक्तिपात के प्रभाव को निरंतर बनाए रखने के लिए सद्गुरुदेव द्वारा दी गई शक्तिपात सिद्धि साधना को अवश्य पूरा करना चाहिए। इसके बाद, शिष्य उन सभी शक्तिपात के प्रभावों का अनुभव कर सकता है, जो उनके साथ पहले हो चुके हैं या सिद्धाश्रम के महान योगियों द्वारा सूक्ष्म रूप से उन पर प्रतिदिन किए जाते हैं। यह एक अद्भुत और गुप्त प्रक्रिया है जो आसानी से उपलब्ध नहीं है।  

सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में दुर्लभ साधना शुरू करने के लिए शुद्धिकरण, एक सफ़ेद कपड़ा और एक रेशमी सफ़ेद कपड़ा चाहिए। अष्टगंध, चावल के दाने और घी के दीपक से एक यंत्र बनाएं। गुरु की तस्वीर और पादुका या यंत्र रखें। सदगुरुदेव से प्रार्थना करें कि दीक्षा शक्ति अक्षुण्ण बनी रहे। गुरु की तस्वीर और पादुका या यंत्र की दैनिक साधना या पंचोपचार विधि से पूजा करें। गुरु मंत्र की 16 माला और पूर्ण शक्तिपात सिद्धि मंत्र की 24 माला जपें।

पूर्ण शक्तिपात सिद्धि मंत्र 

ॐऐं ह्रीं क्लीं क्रीं क्रीं हुं जाग्रय स्फोटय स्फोटय फट् ll 

Poorna Shaktipaat Siddhi Mantra –

 

Om aim hreem kleem kreem kreem hoom jaagray sfotay sfotay fatt.

  

ये क्रम सात दिन का है,दीपक मात्र साधना काल में ही जले ,अखंड रखने की अनिवार्यता नहीं हैसाधना नियमों का पालन करें, 40 दिनों तक पूजा के समय माला पहनें, तथा उसे पूजा स्थल पर रखें। तीव्र जलन महसूस करें, दूध पिएं, शक्तिपात ऊर्जा का अनुभव करें। मंत्र को श्रद्धापूर्वक अपनाएं, बाकी काम अपने आप हो जाएंगे।

2-गुरु रहस्य सिद्धि साधना-

 

              गुरु रहस्य सिद्धि साधना-

 

ऐंकार ह्रीमकार श्रींमकार गूडार्थ महाविभूत्या

ओमकार       मर्म     प्रतिपादिनीभ्याम

नमो   नमः   श्रीगुरु        पादुकभ्याम

 

गुरु चरणों की बात तो अलग ही जबकि गुरु पादुकाओं में ही कई-कई रहस्य छुपे होते हैं,|  और उन रहस्यों को शिष्य अपनी साधना से अपने समर्पण से उजागर कर ही लेते हैं ऐंसा ही एक अद्भुत साधना रहस्य | जो जीवन में अति आवश्यक हैं, गुरु तत्व के अनोखे रहस्यों को इस साधना के माध्यम से जाना जा सकता है, और इसके बाद मेरे ख्याल से अन्य साधना की आवश्यकता नहीं रह जाती | सदगुरुदेव के अवतरण दिवस पर क्यूँ न हम सभी शिष्य इस साधना के माध्यम से उनके श्री चरणों तक पहुँच सकें | और अपना एक साधना क्रम पूरा कर सकें इन्हीं विचारों के अन्तरगत ये साधना देने का मन बना है और चाहती हूँ कि आप सभी इस साधना क्रम को अपनाएँ |

 

भाइयो बहनों! किसी कारणवश यदि आप प्रातः इस साधना को नहीं कर पायें तो किसी भी गुरुवार के प्रातः ४ भी यानि ब्रह्म मुहूर्त में भी कर सकते हैं या २१ ता. को भी |

 

 प्रातः ५ से ७ के बीच स्नान आदि से विर्वृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करके पीले हि आसन पर उत्तर दिशा कि ओर मुह करके बैठे एवं सामान्य गुरु पूजन व गौरी गणेश पूजन संपन्न करें तथा तट संकल्प बद्ध होकर गुरुदेव से गुरुतत्व रहस्य सिद्धि की प्रार्थना करें एवं गुरु रहस्य सिद्धि माला से निम्न मन्त्र की ५१ माला संपन्न करें | तदोपरांत कपूर से आरती करें व जप समर्पण करें

  

|| ॐ ऐं ह्रीं गुरुत्वै नमः ||

 

OM  ANG  HREEM  GURUTVE  NAMAH

 

स्नेही भाईयों व बहनों,

  यह साधना मेरी अनुभूत साधना है और मैं दावे से कह सकती हूँ इस साधना के बाद साधक को गुरु तत्व के रहस्योद्घाटन ना हो | यकीन न हो तो स्वयं करके देखें व लाभ उठायें |


3-गुरु प्राप्ति प्रयोग

 

 

 

 

|| गुरु प्राप्ति प्रयोग ||

 

ॐ त्वमा वह वहै वद वै गुरौर्चन

घरै  सह प्रियन्हर्शेतु ||

प्रयोग विधान

 

यह प्रयोग गुरुवार को ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है। स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और पीले आसन पर बैठकर गणपति और गौरी का पूजन करें। भगवान शिव का चित्र या शिवलिंग पीले कपड़े पर स्थापित करें, चाहे वह नर्मदेश्वर हो या पारदेश्वर, पूर्णतः चैतन्य और पवित्र हो। यदि मूर्ति, यंत्र या माला चैतन्य न हो, तो साधना की सफलता में कमी होती है। किसी भी साधना को करने से पहले पूरी तैयारी आवश्यक है। पूरी श्रद्धा से भगवान शिव की पंचोपचार पूजा संपन्न करने के बाद स्वयं को शिवत्व और गुरु तत्व से युक्त गुरु के रूप में स्थापित करके सिद्धि प्राप्त करने का संकल्प लें।

अब स्फटिक या रुद्राक्ष माला से निम्न मन्त्र की ११ माला जप करें---

 

मन्त्र

 

  ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः’  

“Om shivroopaay mahat gurudevay namah”

 

अब इसके ॐ नमः शिवाय, पंचाक्षरी मन्त्र की पांच माला जप करें |

तथा निम्न प्रार्थना पूर्ण श्रद्धा भाव से करें----

 

नमामि महादेवं देवदेवंभजामि भक्तोदय  भास्करम तं |

ध्यायामि भूतेश्वर पाद्पंकजम, जपामि शिष्योद्धर नाम रूपं” ||

 

  इस प्रार्थना को साधना से पहले और बाद में भी यानि कि दो जरुर करें |

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है.सिर्फ काल्पनिक कहानी समझ कर ही पढ़े .

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